Wednesday, August 8, 2007

शब्द !

ये शब्द आज मुझमे कुछ इस तरह शामिल है
जैसे मै दरिया और ये मेरा साहिल है
कल ये मिलने आये थे मुझसे आज मैं इन्ही मे समाया हुआ हु।
ना जाने क्या कहना चाहते थे
साथ हु फिर भी घबराया हुआ हु
डर है कही किसी पल इन्हें खो ना दू
लहरों कि हलचल से इन्हें धो ना दु
काश इस रूह को, इस संसार से बचा पता मैं
काश इन शब्दो को, अपने प्यार मे छुपा पता मैं
ये शब्द जो इकरार है, और इन्कार भी
ये शब्द जो करार है, तो तकरार भी
ये शब्द ही तो मेरी पहचान है ,
ये शब्द ही तो इस दिल का हर अरमान है.
सजो कर रखना चाहता हू इन्हें जिन्दगी Bar
चाहता हू ये साथ रहे हर कदम हर सफ़र
जानता हु हर चीज़ नशवर है फिर भीं
सब्दो को अमर बनाना चाहता हू
हर दिल मे इनके यादो को basana चाहता हू
vishwas है ये शब्द यही rahenge,
हर विषम परिस्थितियों को ये दत कर sahenge
क्योंकि ये शब्द नही कल्पना है मेरी
और कल्पना कि उड़ान कभी थकती नही॥
ye आज है और कल भी रहेगी
बस आवाज़ आज है मेरी , तो कल होगी तेरी...

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